मोहम्मद अब्दुल अज़ीज़। मुंबई, मई 2025

महाराष्ट्र में कोरोना एक बार फिर चुपचाप दस्तक दे चुका है। इस बार इसकी आहट तेज़ नहीं, लेकिन असर गहरा हो सकता है। ताज़ा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक 132 लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। वहीं, एक सर्वे बता रहा है कि हर पांच में से एक परिवार में कोरोना या फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
आज संक्रमण की रफ्तार भले धीमी दिख रही हो, लेकिन सर्वेक्षण के आंकड़े बता रहे हैं कि ज़मीनी हकीकत कुछ और है। 27 ज़िलों में हुए इस सर्वे में 7,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। 22% परिवारों ने बताया कि उनके किसी न किसी सदस्य को बुखार, खांसी, या गले में खराश जैसे लक्षण हैं। इनमें से बहुत से लोगों ने कोविड टेस्ट तक नहीं करवाया। यानी जो 132 केस सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं, वो शायद हकीकत से काफी कम हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कोविड के नए वैरिएंट का असर ज़्यादा गंभीर नहीं, लेकिन बुजुर्गों, शुगर और हार्ट के मरीजों के लिए यह अभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। राज्य में अब तक दो मरीजों की मौत हो चुकी है। दोनों पहले से बीमार थे।
कोरोना की तीन लहरें झेल चुकी जनता अब लक्षणों को गंभीरता से नहीं ले रही। न टेस्ट हो रहा है, न रिपोर्टिंग। ऊपर से प्रशासन भी शायद इसे ‘पुराना मुद्दा’ समझकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। लेकिन सवाल है—अगर यही रवैया रहा, तो क्या हम एक और लहर का इंतज़ार कर रहे हैं?
इस बार जरूरी है कि हम पुराने अनुभवों से सीखें। अगर किसी घर में दो लोग बुखार से पीड़ित हैं, तो टेस्ट कराना ज़िम्मेदारी है, न कि डर का कारण। कोविड अब नया नहीं है, लेकिन लापरवाही अब भी उतनी ही खतरनाक है।
कोरोना अगर फिर से लौट रहा है, तो हमें भी अपनी समझदारी के साथ लौटना होगा। मास्क, दूरी और टेस्टिंग ये अब सिर्फ नियम नहीं, ज़िंदगी बचाने के हथियार हैं। ज़िम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, हमारी भी है।



