आयुष सोमण । मुंबई । 3:00pm
समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले बहुतों के नाम हमने आज तक सुने होंगे । ऐसा ही एक नाम आज समाज में हम सब के भीतर फिर से उभर कर सामने आया है और वो नाम हैं ‘ अनीस फातिमा शेख उर्फ सलमा ’ । अपनी कच्ची उमर से पवई की सड़कों पर सब्जियां बेच रही सलमा को नैरोबी ( केन्या ) में हुए वैश्विक सम्मेलन में संबोधित किया गया और ये सफर आसान नहीं था।

बचपन से सड़क विक्रेताओं के जीवन का अनुभव लेते हुए उनके जीवन की समस्याओं को अपने सामने देखते हुए सलमा ने अपना जीवन उनके अधिकार और अच्छे जीवन के प्रति लड़ने के लिए समर्पित कर दिया। न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरे देश में सलमा का ये कार्य फैला हुआ है और अब तक अनेकों अखबार और अन्य समाचार माध्यमों ने सलमा के काम की प्रशंसा की है।
इस सफर में उन्हें बहुत सी तकलीफों और कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। अधिकारों के लिए लड़ते वक्त उन्हें कारावास भी भुगतना पड़ा। पर इन सबसे लड़कर आजाद हॉकर्स यूनियन की नींव हाथ में लेकर सलमा ने अनेक महत्वपूर्ण कानून और नीतिगत सुधारों का नेतृत्व किया। ‘ जीवितम लाइवलीहुड टेक सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ‘ के साथ मिलकर बहुत से कामगार, खासकर महिलाओं के जीवन को सुधारने का काम सलमा ने अपने हाथों में ले लिया।
इन्हीं २ दशकों की कड़ी मेहनत, त्याग और समर्पण के लिए अनीस फातिमा जाफर शेख उर्फ सलमा को सी आई आई फाउंडेशन की ओर से महिला आदर्श पुरस्कार ( Womens Model Award ) २०२५ से नवाजा गया। यह पुरस्कार भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा एक राष्ट्रीय समारोह में प्रदान किया गया । पुरस्कार को स्वीकारते हुए सलमा ने कहा कि उनके इस संघर्ष में बहुत लोगों ने मेरा समर्थन किया और इस संघर्ष में मेरे साथ जुड़े रहे । ये पुरस्कार न सिर्फ मेरा बल्कि हर एक का है जो समानता और न्याय की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित कर रहे है ।
अनीस फातिमा जाफर शेख उर्फ सलमा की इस कहानी और उपलब्धियों ने सड़क विक्रेताओं को एक राष्ट्रीय पहचान दी और एक प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया।



