भारत को मिला 44वां यूनेस्को विश्व धरोहर सम्मान: मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स
आयुष सोमण। मुंबई
यूनेस्को की 47वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में भारत की नामांकन सूची से “मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स ऑफ इंडिया” को आधिकारिक तौर पर विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिल गई । यह भारत की 44वीं विश्व धरोहर संपत्ति बनी, जो देश की सैन्य वास्तुकला और ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक स्तर पर मान्यता देती है।

इसमें 12 किले शामिल हैं, जो पहाड़ों, द्वीपों और वनों जैसे विविध भूभागों में स्थित हैं। इनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में स्थित है। यह किले 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच की सैन्य और वास्तुशिल्प के विचारों को दर्शाते हैं। यह स्थल मराठा साम्राज्य के रणनीतिक कौशल और सांस्कृतिक आत्मगौरव के प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“हर भारतीय इस मान्यता से गर्वित है। इन ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में 12 भव्य किले शामिल हैं—11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में। जब हम मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो हम अच्छे प्रशासन, सैन्य ताकत, सांस्कृतिक गर्व और सामाजिक कल्याण की भावना को याद करते हैं। उनके शासन की विरासत हमें अन्याय के सामने झुकने से इनकार करने की प्रेरणा देती है। मैं सभी नागरिकों से आग्रह करता हूं कि इन किलों का दौरा करें और मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास को जानें।”
इस गौरव के साथ, भारत अब विश्व में 6वें स्थान और एशिया क्षेत्र में 2वें स्थान पर है जहां सबसे ज्यादा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।यह मान्यता न केवल किलों की सूची में नाम जोड़ने तक सीमित है बल्कि यह भारत की सैन्य विरासत, स्थानीय शासन, और छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य दर्शन की वैश्विक स्वीकृति है। अब ये किले न केवल गौरव का विषय हैं, बल्कि संरक्षण, शिक्षा, और सांस्कृतिक जुड़ाव की प्रेरणा भी हैं।



