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189 बेकसूरों की मौत और सभी आरोपी भी बेगुनाह, आखिर मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का जिम्मेदार कौन?

मुंबई। मोमिना जाफरी। 21,जुलाई 2025

मुंबई में धमाके के बाद 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें से कोर्ट ने 12 को दोषी पाया था. निचली अदालत ने 5 को फांसी और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने सभी को राहत देते हुए निर्दोष करार दिया है. महाराष्ट्र सरकार फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है.

 

साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में सात स्थानों पर विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 लोगों की मौत हुई थी. मुंबई हाई कोर्ट ने इसपर सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया है. ये फैसला न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. जी. चांडक की पीठ ने सुनाया. हाई कोर्ट के फैसले के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर 189 बेकसूर लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है. जब सारे आरोपी बेगुनाह हैं तो 189 लोगों की जान किसने ली.

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा, उससे पहले उस घटना के बारे में जान लेते हैं. दिन था 11 जुलाई का. साल था 2006. समय शाम का. हमेशा की तरह मुंबई दौड़ रही थी. ऑफिस का काम निपटाकर लोग अपने घरों की ओर निकले थे. दहशतगर्द मुंबई को दहलाने जा रहे थे. मुंबई लोकल के सात स्थानों पर बम प्लांट किया गया था. दौड़ती लोकल के बीच एक-एक कर 7 धमाके हुए. ये सब कुछ 5 मिनट के अंदर हुआ. मुंबई में अफरातफरी मच गई थी. लोग जान बचाने के लिए भागने लगे. जो चले गए उनके शव की तलाश होने लगी थी और जो बच गए उनके पास बताने को सिर्फ दर्द ही दर्द ही रहा. इन धमाकों में कुल 189 लोगों की मौत हुई और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए.

घटना के बाद 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 15 अन्य को वांटेड घोषित किया गया, जिनमें से कुछ कथित तौर पर पाकिस्तान में थे. ATS ने मकोका और यूएपीए के तहत नवंबर 2006 में आरोपपत्र दाखिल किया.

निचली अदालत में अभियोजकों ने कहा, इस हमले की योजना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बनाई थी और इसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के कार्यकर्ताओं ने प्रतिबंधित भारतीय समूह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया की मदद से अंजाम दिया था. हर बार की तरह पाकिस्तान ने इस भी आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि भारत ने हमलों में पाकिस्तान की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं दिया.

आठ साल तक चली सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया. पांच को मौत की सजा सुनाई गई और बाकी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई वो मोहम्मद फैसल शेख, एहतशाम सिद्धीक़ी, नवेद हुसैन खान, आसिफ खान, कमल अंसारी थे. कमल अंसारी नाम की COVID19 के कारण 2022 में जेल में ही मृत्यु हो गई थी.

 

 

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