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महाराष्ट्र में लाडकी बहिन योजना से बाहर हुई 2652 महिला सरकारी कर्मचारी

मुंबई । फरीयाल शेख । 1:oo pm

महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘लाडकी बहिन’ योजना अब राज्य के लिए भारी वित्तीय बोझ बनती जा रही है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया था, लेकिन अब सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। सरकार ने 2,652 महिला सरकारी कर्मचारियों को योजना की लाभार्थी सूची से हटा दिया है, क्योंकि वे इस योजना के लिए पात्र नहीं थीं। इन कर्मचारियों ने अब तक 3.58 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की है, जिसे अब उनसे वसूल किया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि ‘लाडकी बहिन’ योजना के कारण सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है।

आईटी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है। क्योंकि अभी तक करीब 6 लाख कर्मचारियों के रिकॉर्ड की जांच बाकी है। राज्य सरकार के कर्मचारी, मुंबई, ठाणे, नासिक, नागपुर और अन्य नगर निगमों के साथ-साथ सरकारी शिक्षक भी शामिल हैं। इन सभी के रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया में समय लगेगा क्योंकि हमने इन सभी निकायों से रोजगार रिकॉर्ड मांगे हैं।

सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं को रिझाने के लिए यह योजना शुरू की थी। इसके अंतर्गत 21 से 65 वर्ष की आयु की वे महिलाएं जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। उन्हें 1,500 रुपये प्रति महीने की सहायता दी जाती है। हालांकि, सरकारी कर्मचारियों की आय इस सीमा से अधिक होती है, इसलिए वे इस योजना के पात्र नहीं हैं। इसके बावजूद, कई सरकारी कर्मचारियों ने बिना किसी कड़ी जांच के इस योजना का लाभ उठाया।

राज्य सरकार ने इस योजना के लिए सालाना 36,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है। अगले साल तक महाराष्ट्र का कुल कर्ज 9.36 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। 2024-25 के लिए राज्य का ब्याज भुगतान 54,687 करोड़ रुपये था, जो अगले वर्ष 64,658 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। यही कारण है कि सरकार अब पात्रता की सख्ती से जांच कर रही है।

सरकार ने योजना में पहले ही कुछ बदलाव किए हैं। जो महिलाएं ‘नमो शेतकरी महासन्मान निधि’ (NSMN) के अंतर्गत 1,000 रुपये प्रतिमाह पा रही थीं, उन्हें अब ‘लाडकी बहन’ योजना के अंतर्गत सिर्फ 500 रुपये प्रतिमाह ही मिलेगा। NSMN के अंतर्गत कुल 8 लाख महिलाएं आती हैं। वहीं इस सख्ती से विपक्ष नाराज है। शिवसेना यूबीटी के नेता अंबादास दानवे ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि चुनाव से पहले वोट पाने के लिए सरकार ने किसी भी तरह की पात्रता की जांच नहीं की। अब जब सरकार बन गई है, तो लाभार्थियों की जांच शुरू कर दी गई है। इस पैसे की वसूली उन अधिकारियों से होनी चाहिए जिनका काम जांच करना था।

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